CG NEWS : स्पॉट बिलिंग एवं मीटर रीडिंग श्रमिक ठेका कर्मचारी महासंघ छत्तीसगढ़ के मीटर रीडरों द्वारा राज्य सरकार से अपनी विभिन्न मांगों को मजबूती से रखा गया है। इन मांगों में प्रमुख रूप से मीटर रीडरों को संविदा नियुक्ति दिए जाने की मांग की गई है। संघ का कहना है कि मीटर रीडर लंबे समय से काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें उचित वेतन नहीं मिल रहा है। इसके अलावा कई बार उन्हें काम से हटाने की कोशिश भी की जा चुकी है। इस मुद्दे को लेकर स्पॉट बिलिंग एवं मीटर रीडिंग ठेका कर्मचारी संघ ने मुख्यमंत्री से मीडिया के जरिए अपनी बात साझा की है। संघ का कहना है कि वे कई वर्षों से मीटर रीडिंग का काम कर रहे हैं और वर्तमान में बिलिंग कार्य को 1 तारीख से 15 तारीख तक पूरा करने का आदेश दिया गया है। उनका यह भी कहना है कि संगठन ने हमेशा से यह मांग की है कि मीटर रीडरों को 15 दिन बिलिंग कार्य करने के बाद बाकी 15 दिनों में अन्य काम दिए जाएं, ताकि उन्हें पूरे महीने का कार्य और समान वेतन मिल सके।
छत्तीसगढ़ की वितरण कंपनियों में लगभग 65 लाख उपभोक्ता हैं, जिनके लिए लगभग 5300 मीटर रीडर बिल वितरण का काम कर रहे हैं, जिसमें महिलाएं भी शामिल हैं। केंद्र सरकार की स्मार्ट मीटर योजना के तहत, उपभोक्ताओं के घरों में स्मार्ट मीटर लगाने का काम तेज़ी से चल रहा है। यह स्मार्ट मीटर प्रीपेड प्रणाली पर काम करते हैं, जिसके कारण मीटर रीडरों की नौकरी पर संकट आ सकता है। इस संदर्भ में यह सवाल उठता है कि स्मार्ट मीटर लगाने के बाद मीटर रीडरों का क्या होगा?
इसके साथ ही छत्तीसगढ़ सरकार ने जशपुर जिले में पायलट प्रोजेक्ट के तहत स्व सहायता समूह की महिलाओं को “बिजली सखी” के रूप में रीडिंग कार्य में लगाया है। इसके तहत 300 महिलाओं को बिजली सखी के रूप में प्रशिक्षण देने का लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान में महिलाएं भी मीटर रीडिंग का कार्य कर रही हैं, लेकिन इस नई योजना से पुराने मीटर रीडरों का क्या होगा, इस पर अब तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया है। स्मार्ट मीटर के कारण मीटर रीडरों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है, और नई बिजली सखियों को प्रशिक्षण देने की प्रक्रिया से भेदभाव की भावना उत्पन्न हो रही है। संघ का आरोप है कि राज्य की सरकारें मीटर रीडरों को टार्गेट कर रही हैं, और उनके हितों की अनदेखी की जा रही है।