Janjgir-Champa: जनजातीय समुदाय तथा उनकी परंपराओं का छत्तीसगढ़ के इतिहास, संस्कृति, कला और अन्य क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान है, जिसे सम्मानित करने के उद्देश्य से “जनजातीय गौरव स्मृति कार्यक्रम” का आयोजन किया गया। यह एक दिवसीय कार्यक्रम शनिवार को प्रातः 11 बजे से रामकृष्ण राठौर शासकीय पॉलीटेक्निक, जांजगीर-चांपा में आयोजित हुआ। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जांजगीर-चांपा सांसद श्रीमती कमलेश जांगड़े, विशिष्ट अतिथि सिविल सर्जन डॉ. अनिल कुमार जगत और मुख्य वक्ता श्री जितेंद्र ध्रुव उपस्थित थे।
मुख्य अतिथि श्रीमती कमलेश जांगड़े ने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय संस्कृति और सीमाओं के अतिक्रमण के इरादे से आए मुगलों और बाद में ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ जनजातीय समाज का संघर्ष एक गौरवशाली अध्याय है। अंग्रेजों ने इस संघर्ष को मिटाने के लिए झूठ और तथ्यों से परे जाकर कुचक्र रचा, क्योंकि भारत के वन्य क्षेत्रों से उन्हें सबसे अधिक चुनौती मिली थी। उन्होंने पुरानी जनजातीय नायकों जैसे पुंजा भील, रानी दुर्गावती, तिलका मांझी, बुद्धु भगत, भीमा नायक, भगवान बिरसा मुंडा, वीर नारायण सिंह और गुण्धाधुर आदि के बलिदानों का उल्लेख किया।
साथ ही, कार्यक्रम में पुरोहित जी ने जनजातीय समाज की सामाजिक, आर्थिक, आध्यात्मिक, और समृद्ध ज्ञान-परंपराओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि जनजातीय समाज हमेशा से प्रकृति पूजक रहा है और स्त्री-पुरुष में समानता का भाव इस समाज की समृद्ध संस्कृति का अहम हिस्सा है। इस अवसर पर ‘जनजाति समाज का गौरवशाली अतीत’ विषय पर व्याख्यानमाला आयोजित की गई, जिसमें जनजातीय समाज की महान परंपराओं और योगदानों की चर्चा की गई।