UP NEWS: कार्तिक पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने मंदिरों में श्रद्धा भाव से पूजा अर्चना की और घाटों पर दीप जलाए

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UP NEWS: कार्तिक पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने मंदिरों में श्रद्धा भाव से पूजा अर्चना की और घाटों पर दीप जलाएकार्तिक मास की पूर्णिमा को विशेष धार्मिक महत्व प्राप्त है। इसे कार्तिक पूर्णिमा या महतपूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन विशेष रूप से हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है, जिसे मोक्ष प्राप्ति का दिन माना जाता है। पुराणों में इस दिन के स्नान, व्रत और दान को अत्यधिक पुण्यकारी और मोक्ष प्रदान करने वाला बताया गया है।

कार्तिक पूर्णिमा का धार्मिक महत्व:

  1. स्नान और पूजा:
    इस दिन विशेष रूप से गंगा, यमुन, नर्मदा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व है। माना जाता है कि इस दिन स्नान करने से समस्त पाप समाप्त हो जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है। कार्तिक माह के पूरे महीने को भी विशेष रूप से स्नान और पूजा का माह माना जाता है, लेकिन पूर्णिमा के दिन इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।
  2. व्रत और उपवासन:
    इस दिन व्रत रखने और उपवासी रहने से आत्मिक शुद्धता प्राप्त होती है। कई भक्त इस दिन उपवासी रहते हुए भगवान की पूजा करते हैं और विशेष रूप से भगवान विष्णु की आराधना करते हैं।
  3. दान का महत्व:
    कार्तिक पूर्णिमा के दिन दान का अत्यधिक महत्व है। इस दिन गरीबों को वस्त्र, अन्न, या अन्य किसी भी प्रकार का दान देने से पुण्य की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन दान देने से जीवन में सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

भगवान विष्णु का अवतार:

कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु के पहले अवतार मात्स्य अवतार का जन्म हुआ था। यह अवतार समुद्र मंथन के दौरान हुआ था, जब भगवान विष्णु ने मछली के रूप में अपने अवतार को लिया था। इस दिन को भगवान विष्णु के अवतार के रूप में भी मनाया जाता है, और विशेष रूप से उनकी पूजा और आराधना की जाती है।

इस दिन का महत्व बहुत अधिक है, क्योंकि इसे धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र और फलदायी माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन किए गए पुण्य कार्यों का फल जीवन भर मिलता है, और यह व्यक्ति को आत्मिक शांति और मोक्ष की दिशा में मार्गदर्शन करता है।

कार्तिक पूर्णिमा का पर्व: आस्था और विश्वास का प्रतीक

कार्तिक पूर्णिमा का त्योहार हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पर्व विशेष रूप से कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है और इसे आस्था, विश्वास और श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है। प्रदेश भर में इस दिन को श्रद्धापूर्वक मनाया जा रहा है, खासकर धार्मिक नगरी अयोध्या और वाराणसी में इसका खास महत्त्व है।

अयोध्या और वाराणसी में लाखों श्रद्धालु इस दिन गंगा और सरयू नदी में पवित्र स्नान करने के लिए पहुंचे। इन नदियों में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और जीवन में शांति व समृद्धि का आगमन होता है, यही विश्वास श्रद्धालुओं के मन में होता है।

अयोध्या में इस पर्व की पूर्व संध्या पर सरयू नदी के स्नान घाट पर विशेष आयोजन किया गया। यहाँ श्रद्धालु पूजा-अर्चना और दर्शन के लिए प्रमुख मंदिरों में भी गए। कार्तिक पूर्णिमा स्नान के लिए 10 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना जताई जा रही है। घाटों पर श्रद्धालुओं की लंबी कतारें देखी जा रही हैं, जो अपनी धार्मिक आस्था को प्रकट करते हुए पूरी श्रद्धा के साथ स्नान कर रहे हैं।

सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी प्रदेश सरकार ने पुख्ता प्रबंध किए हैं। ड्रोन के माध्यम से निगरानी की जा रही है और सादी वर्दी में सुरक्षा कर्मी हर स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। इससे श्रद्धालुओं को सुरक्षा का पूरा भरोसा है।

वाराणसी में गंगा घाटों पर भी भारी भीड़ जुटी है। यहाँ भी श्रद्धालु गंगा में पवित्र डुबकी लगाने के लिए सुबह से ही पहुंचने लगे थे। इसके साथ ही प्रदेश के अन्य जिलों में भी श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई और विभिन्न घाटों पर मेलों का आयोजन भी किया गया।

इस विशेष दिन को लेकर कुछ महत्वपूर्ण जानकारी भी है। कार्तिक पूर्णिमा स्नान का मुहूर्त 15 नवम्बर की सुबह 4:37 बजे से शुरू होकर 16 नवम्बर की सुबह 2:29 बजे तक रहेगा। यह समय विशेष रूप से शुभ माना जाता है, जब श्रद्धालु गंगा और सरयू में स्नान करके अपने जीवन में पुण्य प्राप्त करते हैं।

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