शराब घोटाला: दिल्ली हाई कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) को नोटिस जारी किया है। यह मामला दिल्ली शराब नीति से जुड़े मनी लांड्रिंग से संबंधित है। पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपनी याचिका में उच्च न्यायालय से यह मांग की है कि उनके खिलाफ चल रही कार्यवाही पर रोक लगाई जाए। केजरीवाल ने इस मामले में ED द्वारा की जा रही जांच और कार्रवाई को चुनौती दी है और इस पर न्यायिक हस्तक्षेप की अपील की है।
इस मामले में ED की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में अपनी स्थिति प्रस्तुत करते हुए केजरीवाल की याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है। कोर्ट ने इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए ED को जवाब दाखिल करने का समय दिया है।
यह मामला दिल्ली शराब नीति से जुड़ा है, जिसमें मनी लांड्रिंग के आरोप लगाए गए हैं। ED द्वारा की जा रही जांच में कई प्रमुख व्यक्तियों और राजनेताओं की भूमिका की जांच की जा रही है। केजरीवाल के इस कदम को राजनीतिक दृष्टिकोण से भी देखा जा रहा है, क्योंकि यह मामला दिल्ली सरकार और केंद्रीय एजेंसियों के बीच संघर्ष का प्रतीक बन चुका है।
केजरीवाल की ओर से पेश की गई महत्वपूर्ण दलीलें
अरविंद केजरीवाल के वकील ने दिल्ली हाई कोर्ट में कहा कि छठी और सातवीं सप्लीमेंट्री चार्जशीट एक ही जैसी हैं और इनमें कोई नया तथ्य या जानकारी नहीं दी गई है। वकील ने यह भी बताया कि गवाहों के बयान वही हैं, जो पहले की चार्जशीट में दिए गए थे, और इनसे कोई नया बदलाव नहीं हुआ है। इसके अलावा, केजरीवाल के वकील ने सवाल उठाया कि बिना सही कानूनी धारा (सेक्शन) के ट्रायल कोर्ट कैसे मामले की सुनवाई कर सकता है। इस मामले पर अगली सुनवाई दिल्ली हाई कोर्ट में 20 दिसंबर को होगी।
कथित शराब घोटाले के कनेक्शन
दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने 17 नवंबर 2021 को एक्साइज पॉलिसी 2021-22 को लागू किया। इस नई पॉलिसी का मुख्य उद्देश्य शराब व्यापार में सुधार और सरकार के राजस्व में वृद्धि करना था। इसके तहत सरकार ने शराब कारोबार से खुद को बाहर कर लिया और सभी शराब की दुकानें निजी हाथों में दे दीं। सरकार का दावा था कि इस नीति से शराब के माफिया राज का खात्मा होगा और टैक्स चोरी में कमी आएगी, साथ ही यह कदम राजस्व में वृद्धि करेगा।