CG NEWS : जिले में करोड़ों की सिटी बसें कबाड़ में तब्दील हो चुकी हैं। इन बसों की देखरेख के अभाव में अधिकांश कलपुर्जे चोरी हो गए हैं और कुछ बसों को सामाजिक तत्वों ने आग के हवाले कर दिया है। कोरोना काल में बसों का परिचालन बंद कर दिया गया था, और अभी तक इसे बहाल नहीं किया जा सका है। इस दौरान, बसों के कलपुर्जों की चोरी की रिपोर्ट तक नगरपालिका ने पुलिस थाने में दर्ज नहीं करवाई।
जब सिटी बसें चल रही थीं, तब कॉलेज के छात्रों और आम लोगों को यात्रा करने में कोई समस्या नहीं होती थी। लेकिन अब, जब से सिटी बसों का संचालन बंद हुआ है, ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों और बुजुर्गों को यात्रा करने में काफी परेशानी हो रही है। ऑटो चालकों द्वारा मनमाने दाम वसूले जा रहे हैं। सिटी बसें ग्रामीण क्षेत्रों को शहर से जोड़ने के लिए बहुत लाभकारी थीं, लेकिन अब इसके बंद होने से लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
प्रशासन को तुरंत सिटी बसों का संचालन फिर से शुरू करना चाहिए, ताकि आम जनता को राहत मिल सके। जिला प्रशासन की ओर से सिटी बसों के संचालन में किसी की भी रुचि नहीं दिख रही है, जिससे आम लोगों को सस्ता और अच्छा परिवहन सुविधा मुहैया कराने की योजना खटाई में पड़ती नजर आ रही है। रायगढ़ नगर निगम प्राधिकरण के तहत 4 करोड़ 80 लाख की लागत से 10 सिटी बसें खरीदी गई थीं, जिन्हें जांजगीर-चांपा जिले में भेजा गया था।
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रायगढ़ में लोगों की आवागमन की सुविधा और ऑटो रिक्शा ड्राइवरों द्वारा मनमाने भाड़े से राहत प्रदान करने के उद्देश्य से 10 सिटी बसें मंगवाई गई थीं। लेकिन अब ये बसें अत्यंत खराब स्थिति में पहुंच चुकी हैं। लगभग 4 करोड़ 80 लाख की लागत से खरीदी गई ये बसें शहर के बस स्टैंड नैला में कबाड़ के रूप में पड़ी हुई हैं। कुछ महीने पहले असामाजिक तत्वों ने इन बसों को आग के हवाले भी कर दिया था, जिससे उनकी स्थिति और भी दयनीय हो गई है। इन बसों के पहिये, इंजन और बैटरी गायब हो चुके हैं, और उनके शीशे टूट चुके हैं। विभागीय अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की लापरवाही के कारण इस परियोजना में खर्च किया गया करोड़ों रुपए का धन पूरी तरह बर्बाद हो गया है। यह स्थिति न केवल सार्वजनिक परिवहन की गुणवत्ता को प्रभावित कर रही है, बल्कि उन लोगों के लिए भी एक बड़ी समस्या बन गई है, जो इन बसों पर निर्भर थे।कुछ समय पहले, जांजगीर-चांपा जिले की बसों में बदमाशों ने आग लगा दी। इन बसों की देखरेख की जिम्मेदारी नगरपालिका के पास है, जबकि परमिट और अन्य नियम परिवहन विभाग द्वारा देखे जाते हैं। साल 2015 में, राज्य सरकार ने रायगढ़ नगर प्राधिकारण के तहत जांजगीर में 10 बसों के संचालन की अनुमति मांगी थी। हालांकि, इन 10 बसों में से केवल 4 ही जांजगीर शहर से अकलतरा, पामगढ़, चांपा, बलौदा और शिवरीनारायण जैसे विभिन्न मार्गों पर चलने में सफल रही थीं, जबकि 6 बसों को परमिट नहीं मिला था। यह स्थिति तब और गंभीर हो गई जब कोरोना महामारी के कारण इन बसों का संचालन प्रभावित हुआ। ऐसे में, बदमाशों द्वारा की गई इस हिंसक घटना ने परिवहन सेवा को और भी कठिन बना दिया है।