CG News: छत्तीसगढ़ में सहकारी समितियों का भविष्य, भाजपा सरकार का नया प्रयासमंत्री केदार कश्यप ने यह बयान दिया कि सहकारिता का मूल उद्देश्य “सबकी सहभागिता से सबका विकास” है। इसका मतलब है कि जब समाज के सभी वर्ग मिलकर काम करते हैं, तो समाज में समग्र विकास होता है। वे यह भी कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) की सरकार ने सहकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश की है। इस विचारधारा के अंतर्गत, सरकार ने सहकारी समितियों और सहयोगात्मक संस्थाओं के माध्यम से लोगों के जीवन स्तर को सुधारने की दिशा में कार्य किया है।
बस्तर जिला सहकारिता एवं मर्यादित जगदलपुर के द्वारा आयोजित 71वें अखिल भारतीय सहकारिता सप्ताह के समापन समारोह में वन एवं सहकारिता मंत्री केदार कश्यप सम्मिलित हुए। इस अवसर पर उन्होंने किसान भाइयों को संबोधित किया और सहकारिता के महत्व को उजागर करते हुए, किसानों की आर्थिक स्थिति को सशक्त बनाने के लिए सहकारी संस्थाओं के माध्यम से नई योजनाओं का लाभ उठाने की अपील की। मंत्री केदार कश्यप ने सहकारिता के क्षेत्र में होने वाली उपलब्धियों की सराहना की और इसे समाज के समग्र विकास के लिए एक प्रभावी साधन बताया।
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सहकारिता मंत्री केदार कश्यप ने अपने संबोधन में कहा कि सहकारी समितियों का सशक्तिकरण किसानों के साथ-साथ गांव, प्रदेश और देश की समृद्धि से जुड़ा हुआ है। उनका मानना है कि “सबकी सहभागिता से सबका विकास” ही सहकारिता का मूल उद्देश्य है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के गांव, गरीब और किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए “सहकार से समृद्धि” का आह्वान किया है।
केदार कश्यप ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में हमारी सरकार का ध्येय वाक्य “सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास” है। इसी ध्येय के साथ हमारी सरकार लोगों के हित में काम कर रही है। उन्होंने सहकारी समितियों से जुड़े लोगों से यह अपील की कि सहकारिता के क्षेत्र में हमारे काम का प्रभाव जमीनी स्तर पर दिखाई देना चाहिए, क्योंकि केवल सबकी सहभागिता और सहयोग से ही हम आर्थिक रूप से समृद्ध हो सकते हैं।
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सहकारिता मंत्री कश्यप ने कहा कि धरती मां को हम वसुंधरा के नाम से भी जानते हैं। इस वसुंधरा की पूजा हम श्रद्धा भाव से करते हैं। यह धरती हमारे लिए केवल एक साधारण भू-भाग नहीं है, बल्कि एक ऐसी शक्ति है जो हमें जीवन के लिए आवश्यक संसाधन देती है। जहां भी हम खेतों में हल चलाते हैं और बीज बोते हैं, वहीं धरती हमें अपनी उपज से जीवन यापन के लिए कई गुना अधिक अनाज प्रदान करती है। यही कारण है कि हम इसे वसुंधरा, यानी संजीवनी देने वाली मां के रूप में मानते हैं।