Chhath Puja 2024: सूर्य षष्ठी व्रत, जिसे सामान्य भाषा में छठ पर्व के नाम से जाना जाता है, आस्था और सूर्य उपासना का प्रतीक है। इस महापर्व की शुरुआत 5 नवंबर से हो गई है। चार दिनों तक मनाए जाने वाले इस पर्व की शुरुआत कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होती है और इसका समापन सप्तमी तिथि को होता है।छठ पर्व भगवान सूर्य की उपासना और आराधना का प्रतीक है, जिसमें श्रद्धालु सूर्यदेव से सुख, समृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य की कामना करते हैं।
यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि सूर्य के महत्व का सम्मान भी करता है। सूर्यदेव में आस्था रखने वाले लोग इस दिन व्रत रखते हैं और कठिन साधना के साथ सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस उपासना से उन्हें जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।आज 07 नवंबर 2024, गुरुवार को सूर्यास्त का समय शाम 5 बजकर 31 मिनट है। छठ पर्व के तीसरे दिन, आज इस समय पर भगवान सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जाएगा। इसे “अस्ताचलगामी सूर्य अर्घ्य” कहा जाता है, जिसका अर्थ है ढलते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करना।
छठ पर्व में अर्घ्य का अत्यधिक महत्व होता है। सूर्य का संबंध स्वास्थ्य, पिता और आत्मा से जुड़ा हुआ है। यह मान्यता प्रचलित है कि सूर्य की उपासना और अर्घ्य अर्पित करने से बड़े से बड़े कष्ट भी समाप्त हो जाते हैं। इसके साथ ही जीवन में समृद्धि और सुख-शांति आती है, और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं शीघ्र दूर होती हैं। जब डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, तो सूर्य के साथ उनकी पत्नी प्रत्यूषा का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है, क्योंकि डूबते सूर्य की किरणों में उनकी पत्नी प्रत्यूषा का भी वास होता है।कार्तिक शुक्ल मास की सप्तमी तिथि को सूर्योदय के समय उदित सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा का पालन किया जाता है। इस दिन प्रातःकाल में सूर्यदेव अपनी पत्नी उषा के साथ रहते हैं, जिन्हें “भोर की देवी” के रूप में जाना जाता है।