Quantum Physics में एक अजीब-सा सिद्धांत है जिसे कहते हैं “Superposition” — इसका मतलब है कि कोई भी कण (particle), जैसे कि इलेक्ट्रॉन, एक ही समय पर दो या उससे ज्यादा अवस्थाओं में हो सकता है!
उदाहरण के लिए:
अगर आप किसी इलेक्ट्रॉन को नहीं देख रहे, तो वह एक साथ दो जगह मौजूद हो सकता है। लेकिन जैसे ही आप उसे देखना शुरू करते हैं, वह किसी एक जगह “फिक्स” हो जाता है।
यह सिद्धांत एक एक्सपेरिमेंट से सिद्ध हुआ था — “Double Slit Experiment”
इसमें दिखाया गया कि जब हम कणों को नहीं देखते, तो वे कण और तरंग दोनों की तरह व्यवहार करते हैं। लेकिन जब उन्हें देखा जाता है, तो वे सिर्फ कण की तरह ही behave करते हैं।
इसका मतलब?
आपका देखने भर से — रियलिटी बदल सकती है!
यानि, Quantum level पर “Reality is not fixed unless it is observed.”
इसे समझना क्यों जरूरी है?
यह हमारी सोच को पूरी तरह हिला देता है — अगर हमारी “देखने की क्रिया” ही तय करती है कि रियलिटी कैसी है, तो क्या सचमुच हम ब्रह्मांड को shape कर रहे हैं?
Quantum Mechanics आज के सुपर कंप्यूटर, क्वांटम कंप्यूटिंग और भविष्य के टेक्नोलॉजी का आधार बन चुका है।
Bonus Fact:
Quantum computers इसी सिद्धांत पर काम करते हैं — जहां 0 और 1 एक साथ exist करते हैं। इसका मतलब ये कंप्यूटर एक ही समय में लाखों calculations कर सकते हैं!