साइंस के अनुसार, भविष्य की यात्रा (Time Travel to the Future) थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी (Theory of Relativity) के जरिए संभव है — जिसे अल्बर्ट आइंस्टीन ने प्रस्तावित किया था।
जब कोई वस्तु बहुत तेज़ गति से चलती है (जैसे लाइट की स्पीड के पास), तो उस पर समय धीमा (Time Dilation) हो जाता है। इसका मतलब:
अगर कोई अंतरिक्ष यात्री प्रकाश की गति के करीब स्पेसशिप में सफर करे, तो उसके लिए समय धीरे-धीरे गुज़रेगा, जबकि पृथ्वी पर बाकी लोगों के लिए समय सामान्य गति से चलता रहेगा।
उदाहरण:
अगर कोई व्यक्ति 5 साल के लिए स्पेस में बहुत तेज़ गति से घूमे, तो जब वो पृथ्वी पर लौटेगा, तब शायद 50 या 100 साल बीत चुके होंगे। यानी वह व्यक्ति भविष्य में पहुंच चुका होगा, जबकि उसके लिए केवल 5 साल बीते होंगे।
Time Travel = Real, लेकिन Future Only!
इसे समझना क्यों जरूरी है?
ये तथ्य सिर्फ फिल्मी नहीं है — ये रियल साइंस है! यह दर्शाता है कि ब्रह्मांड के नियम कितने रहस्यमय हैं और अगर हम तकनीकी रूप से तैयार हो जाएं, तो एक दिन इंसान “समय में यात्रा” करने में सक्षम हो सकता है।