सर्व शिक्षा अभियान के तहत बच्चों की शिक्षा का अधिकार

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भारत सरकार द्वारा 2001 में शुरू किया गया एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है। यह अभियान शिक्षा के सार्वभौमिक अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए है, ताकि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे।

भारत के संविधान के अनुच्छेद 21A में शिक्षा का अधिकार एक मौलिक अधिकार के रूप में स्वीकार किया गया है, जिसके तहत 6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा मिलनी चाहिए। सर्व शिक्षा अभियान का मुख्य उद्देश्य शिक्षा के स्तर में सुधार लाना, बच्चों को शिक्षा से जोड़ना, और उन क्षेत्रों में शिक्षा की पहुंच बढ़ाना है जहाँ पहले यह संभव नहीं था।

इस अभियान के तहत विशेष ध्यान कमजोर वर्गों, जैसे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, और अल्पसंख्यक बच्चों की शिक्षा पर दिया जाता है। इसके अलावा, विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए भी विशेष प्रावधान किए गए हैं, ताकि वे भी समान शिक्षा प्राप्त कर सकें।

सर्व शिक्षा अभियान ने बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का प्रयास किया है, जिससे उनका समग्र विकास संभव हो सके और वे भविष्य में आत्मनिर्भर बन सकें।

सर्व शिक्षा अभियान के मुख्य उद्देश्य:

सभी बच्चों के लिए प्राथमिक शिक्षा: इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देना है।

शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार: केवल बच्चों की संख्या बढ़ाना ही नहीं, बल्कि उनकी शिक्षा की गुणवत्ता को भी सुधारना।

पढ़ाई और स्कूल का वातावरण: छात्रों के लिए स्कूलों का भौतिक और शैक्षिक वातावरण बेहतर बनाना।

शिक्षकों की ट्रेनिंग: शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए शिक्षकों की नियमित ट्रेनिंग और विकास।

लिंग समानता: विशेष रूप से लड़कियों के शिक्षा में भागीदारी बढ़ाना।

प्रारंभिक शिक्षा का महत्व: बच्चों को सही तरीके से प्राथमिक शिक्षा देने के लिए उपयुक्त संसाधनों का प्रबंधन।

शिक्षा में सामाजिक समावेशन: कमजोर वर्ग, आदिवासी और दिव्यांग बच्चों को शिक्षा का अवसर प्रदान करना।

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