शारदीय नवरात्रि: राजधानी के मंदिरों में शारदीय नवरात्रि के पहले दिन का दृश्य वाकई अद्भुत था। भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी, जो मां शैलपुत्री की आराधना के लिए श्रद्धा और भक्ति के साथ जुटे थे।
शहर के प्रमुख मंदिरों, विशेषकर महामाया मंदिर और दूधाधारी मठ में भक्तों ने माता के दर्शन किए और आशीर्वाद प्राप्त किया। हर ओर मां के जयकारे गूंज रहे थे, जो श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास को प्रदर्शित कर रहे थे।
भक्तों ने न केवल पूजा-अर्चना की, बल्कि मां के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने के लिए फूल, फल और अन्य भोग अर्पित किए। इस धार्मिक माहौल में भक्तों के चेहरे पर संतोष और श्रद्धा की चमक साफ नजर आ रही थी।
यह नवरात्रि केवल धार्मिक अनुष्ठान का समय नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति और परंपराओं का जीवंत प्रदर्शन भी है। भक्तों की यह एकजुटता और भक्ति हर वर्ष इस पर्व को खास बनाती है, और इस वर्ष भी इसका कोई अपवाद नहीं था।भक्तों की श्रद्धा: माता शैलपुत्री की पूजा
सुबह से ही मंदिरों में भक्तों की लंबी कतारें लग गई थीं, जो माता शैलपुत्री की आराधना के लिए आए थे। भक्तजन खास तैयारियों के साथ मंदिर पहुंचे, उनकी श्रद्धा और भक्ति ने वातावरण को एक विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। महिलाएं पारंपरिक परिधान में सज-धजकर आई थीं, जबकि पुरुष श्रद्धालु हाथों में फूल और नैवेद्य लिए हुए थे।
मंदिर प्रबंधन ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए विशेष व्यवस्थाएँ की थीं। सुरक्षा कर्मियों और स्वंसेवकों ने श्रद्धालुओं की सुविधाओं का ध्यान रखते हुए उनकी सहायता की। हर कोई माता के दर पर अपनी मनोकामनाएँ लेकर आया था, और वहाँ की भक्ति और उत्साह ने माहौल को और भी पवित्र बना दिया।
जैसे-जैसे दिन बढ़ा, भक्तों की संख्या में इजाफा होता गया, और मंदिर परिसर में भक्ति गान और मंत्रोच्चारण गूंजने लगा। माता शैलपुत्री की पूजा-अर्चना में भक्तजन लीन थे, मानो समय थम गया हो। यह दृश्य न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक था, बल्कि एकता और श्रद्धा का भी प्रतीक बन गया।नवरात्रि: मां शैलपुत्री की पूजा का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विशेष महत्व होता है। मां शैलपुत्री को शक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है। नवरात्रि के इस पावन पर्व पर श्रद्धालुओं ने मां के चरणों में अपनी श्रद्धा अर्पित की और परिवार की सुख-समृद्धि तथा देश में शांति की कामना की।