SUKMA NEWS: काली पूजा की तैयारियां अंतिम चरणों में, अमावस्या पर होगी विशेष पूजा

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SUKMA NEWS: काली पूजा की तैयारियां अब अंतिम चरणों में हैं। काली पूजा में अब कुछ ही दिन शेष रह गए हैं, और पूजा आयोजन समिति सभी तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटी है। वर्षों से चली आ रही यह परंपरागत काली पूजा इस वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या को, जो दिवाली की रात यानी 31 अक्टूबर को है, मनाई जाएगी। इस रात को विशेष रूप से काली पूजा के समय के रूप में मनाया जाता है, जिसे “श्यामा पूजा” के नाम से भी जाना जाता है।ढोल-ढाक, शंख और काशा की गूंज का पूजा में विशेष महत्व है। प्रतिवर्ष विधिवत सम्पन्न होने वाली इस पूजा में साज-सज्जा का विशेष ध्यान रखा जाता है। मंदिर को फूलों से भव्य रूप से सजाया जाता है, जो आकर्षण का केंद्र होता है। दीपावली की रात को होने वाली मां काली की पूजा बंगीय समुदाय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। मां काली को बंगीय समाज की कुलदेवी के रूप में पूजने के कारण समाज के सभी लोग इस पूजा के प्रति बहुत उत्साहित रहते हैं। इस वार्षिक उत्सव में समाज के छोटे-बड़े सभी वर्ग उपस्थित होकर विधिवत मां की आराधना करते हैं।

मुख्यालय स्थित श्रीश्री महाकाली मंदिर शक्तिकानन में काली पूजा की तैयारियाँ अंतिम चरण में हैं। पिछले 45 वर्षों से निरंतर चल रही इस मां काली की पूजा को लेकर आयोजन समिति में विशेष उत्साह है। प्रतिवर्ष आयोजित होने वाली यह पूजा जिले में काफी लोकप्रिय है, और जिले में एकमात्र मंदिर होने के कारण श्रद्धालुओं का उत्साह और अधिक बढ़ जाता है।वार्षिक काली पूजा के अध्यक्ष विशाल शाह ने बताया कि 31 अक्टूबर को मध्यरात्रि में माता के वार्षिक उत्सव के रूप में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाएंगे। इन अनुष्ठानों में माता जी की आरती, ज्योत, जागरण, हवन और महाप्रसाद (भंडारा) का आयोजन शामिल है। इसके साथ ही, एक दिवसीय भजन संध्या का आयोजन भी किया जाएगा, जिसमें अन्य राज्यों से आए कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देंगे। तीन दिवसीय कार्यक्रम में मां की विधिवत पूजा और विभिन्न प्रकार की आरती एवं पूजा की तैयारियां अब अपने अंतिम चरण में हैं। सुकमा सहित आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस आयोजन में शामिल होते हैं।

विशाल शाह ने कहा कि इस वर्ष काली पूजा धूमधाम से मनाने की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। श्रद्धालुओं के लिए हर संभव सुविधा की व्यवस्था की गई है। पूजा का शुभारंभ गुरुवार से होगा, और तैयारियां पूरी होने के बाद 31 अक्टूबर को रात में विधिवत मां काली की पूजा-अर्चना प्रारंभ की जाएगी।बंगीय समाज में काली पूजा को लेकर जबरदस्त उत्साह का माहौल है। समाज के लोग मां काली मंदिर में पूजा की तैयारियों में जुटे हुए हैं। मंदिर परिसर में पूजा के आयोजन के लिए टेंट आदि की व्यवस्था की जा रही है। युवा वर्ग इस पूजा को विशेष बनाने के लिए तैयारी को अंतिम रूप देने में लगा हुआ है। काली पूजा के इस आयोजन में बड़ी संख्या में बंगीय समाज के सदस्य सम्मिलित होंगे। वहीं, वरिष्ठ सदस्यों के मार्गदर्शन में पूजा की सभी तैयारियों को अंतिम रूप देने का कार्य किया जा रहा है।वर्तमान में मंदिर के व्यवस्थापक और पंडित का दायित्व निभा रहे सुजीत वैदिक ने बताया कि काली मंदिर पूर्व में हुई साधनाओं का प्रतिफल है। जिले में माँ काली का एकमात्र मंदिर है, जिसे हमारे परिवार द्वारा वर्षों से सुचारू रूप से संचालित किया जा रहा है। वर्तमान में यह परिसर सौंदर्य और विधिवत पूजा के लिए प्रसिद्ध है। मेरे पिता आचार्य स्वर्गीय नरेन्द्र गिरी वैदिक माँ काली के प्रथम पुजारी और मंदिर के संस्थापक थे, जिन्होंने 1977 में इस मंदिर की नींव रखी थी। इस परंपरा को बनाए रखने हेतु प्रथम पूजा हमारे परिवार के ही द्वारा वर्षों से संपन्न की जा रही है। सुजीत वैदिक ने आगे बताया कि प्रतिवर्ष काली पूजा को लेकर विशेष तैयारियां बंगीय समाज द्वारा की जाती हैं, जिसे समाज के प्रमुखों द्वारा संपन्न कराया जाता है। इस हर्षोल्लास से मनाई जाने वाली पूजा को विधिवत संपन्न कराने में हम प्रतिबद्ध रहते हैं।

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